अज्ञात महिला की भूख या ठंड से मौत?, घंटो पड़ा रहा महिला का बस स्टैंड में शव, रैन-बसेरा का आखिर कब होगा उपयोग

बालाघाट. जिले में इन दिनो तेज ठंड का कहर है, पूरे दिन और शाम होते-होते ठंड का असर तेज हो जाता जो देररात के बाद हाड़फोड़ ठंड में तब्दील हो जाती है, ऐसे में शहरी क्षेत्र में मानसिक रूप से विक्षिप्त या परिवार से दूर रहने वाले लोग बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन में ठंड से कंपकंपाते अपनी रात गुजारते है, खासकर मानसिक विक्षिप्त और भींख मांगकर न खाने वाले कुछ स्वाभिमानी, परिस्थिति से हारे कोई भुखे रहकर भी खाना नहीं मांग सकते है, लेकिन आखिर भुख को कब तक शरीर सहन करेगा. बालाघाट नगर के अतिव्यस्ततम बस स्टैंड प्रतिक्षालय में विगत चार दिनों से एक महिला महज एक छोटे से गर्म कपड़ो में रह रही थी, जिसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं था. न तो वह भीख मांगती थी और न ही उसके पास कुछ खाने के लिए था. बेसहारा एक वृद्ध महिला कभी उसे खाने को कुछ दे देती थी और वह खा लेती थी, लेकिन आज सुबह उसने अपनों से दूर अज्ञात रहते हुए दम तोड़ दिया. घंटो तक महिला का शव बस स्टैंड प्रतिक्षालय में पड़ा रहा, लेकिन व्यस्ततम बस स्टैंड में किसी को यह देखने की फुर्सत नहीं थी. अंततः बाद में पता चलने पर जागरूक लोगों ने इसकी सूचना डायल 100 को दी. जिसके बाद डायल 100 ने मृतक महिला को पीएम के लिए जिला चिकित्सालय भिजवाया.

लगभग 45 से 50 वर्षीय यह महिला कौन है?, कहां से आई है? और यहां कैसे पहुंची? यह रहस्य, उसकी मौत के साथ ही रहस्य बनकर रह गया. बहरहाल पुलिस ने मृतक महिला की शिनाख्त के लिए आरएम कर दिया है, वहीं उसके परिचितों की तलाश में जुट गई है. महिला की मौत कब, कैसे और क्यों हुई, यह जांच और पीएम के बाद ही सामने आयेगा, लेकिन कोई इसे ठंड से बता रहे है तो कोई भुख से.  

बस स्टैंड में विगत चार या पांच दिन से रह रही इस महिला को लेकर एक कबाड़ चुनने वाली बुजुर्ग महिला की मानें तो वह कौन है और कहां से आई थी, यह कभी उसने नहीं बताया, केवल गुमसुम बैठी रहती थी. कभी उसको खाना दे दो तो खा लेती थी. आज सुबह भी उसने मेरे साथ चाय पी थी. जिसके बाद वह कबाड़ चुनने निकल गई. उन्होंने बताया कि कई रातो से बेहद ठंड पड़ रही थी. जिसके पास कोई गर्म कपड़े या ठंड से बचने का कोई कपड़ा नहीं था.  

एक सवाल के जवाब में कहा कि न तो कभी यहां अलावा जला है और न ही नपा का कोई कोई कर्मी यहां देखना आता है.  

एक पार्टी पदाधिकारी और ऑटो चालक मो. नकी शेख ने कहा कि शहर में बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और अन्य जगहों  पर रहने वाले बेसहारों को लेकर प्रशासन या नपा की कोई जिम्मेदारी हो, ऐसा कभी दिखाई नहीं देता है, जबकि इस कड़कड़ाती और हाड़फोड़ ठंड में इन खुले स्थानो में रहने वाले लोगों के प्रति प्रशासन और नपा को ध्यान देना चाहिये थे, यदि गर्म कपड़े नहीं दिला सकते तो कम से कम ठंड से बचाव के लिए अलाव की व्यवस्था ही की जानी चाहिये. उन्होंने नपा के अलाव को लेकर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि नपा ऐसे जगह अलाव जला रही है, जहां कोई तापने नहीं आता है. उन्होंने बताया कि ऐसे बेसहारों के लिए भोजन की व्यवस्था भी नपा को की जाने चाहिये.

आखिर क्या काम आ रहा रैन बसेरा

नगरपालिका द्वारा लाखों रूपये की लागत से चर्चित मेहरा तालाब के एक ओर पर सर्वसुविधायुक्त रैन बसेरा बनाया गया है, लेकिन इस रैन बसेरा में कभी कोई यात्री ठहरा हो, ऐसा कभी नजर नहीं आता है, सूत्रों की मानें तो यह रैन बसेरा कुछ चिन्हित लोगों के लिए आरामदायक स्थल बनकर रह गया है, जबकि ठंड के दौरान बेसहारों को यहां रखा जाना चाहिये थे, लेकिन संवेदना खो चुकी नगरपालिका से इस तरह की किसी प्रकार की उम्मीद बेमानी लगती है, अब एक महिला की मौत के बाद अमला जागेगा, ऐसा भी नजर नहीं आता है. बहरहाल एक अज्ञात महिला ने मानवता खो चुके लोगों के आगे जिंदगी की जंग हारकर मौत की सहारा बन गई.

कहां है समाजसेवी

शायद चुनाव होता तो समाजसेवी भी नगर में कंबल बांटते नजर आते, लेकिन आजकल कंबल बांटने की सेवा भी एक तरीके का प्रचार का साधन बन गई है, गरीबों के तन की ठंडक भगाने बांटे जाने वाले कंबलों की कीमत से ज्यादा प्रचार की भूख, कईयों को अपनी नजरों से गिरा देती है, बताया जाता है कि पहले समाजसेवी, कुछ ऐसा करते थे कि दांये हाथ से दिये गये दान का बांये हाथ को पता नहीं चलता था, लेकिन आज समाजसेवा कार्यो के प्रचार की भुख पूरे शहर में दस हाथो से देते एक केले की कहानी को बयां कर देती है. बहरहाल हमारा किसी समाजसेवी को आईना दिखाने या उसकी समाजसेवा पर सवाल खड़ा करना नहीं है लेकिन जरूरतमंदो को यदि समाजसेवा का लाभ नहीं मिल पाये तो फिर कैसी समाजसेवा? बहरहाल शहर में भी समाजसेवियों को बेसहारों लोगों को कंबल बांटने की जरूरत है, ताकि वह शेष दिनों की कड़कड़ाती ठंड से अपना बचाव कर सके.


Web Title : UNIDENTIFIED WOMAN STARVED TO DEATH OR COLD?, WOMANS BODY IN BUS STAND FOR HOURS, NIGHT SHELTER TO FINALLY BE USED