धान खरीदी तो करवा ली अब भुगतान के लिए भटका रहे, स्वसहायता समूह की महिलाओं ने बताया दर्द, सवा दस लाख रूपये की राशि बकाया

बालाघाट. शासन, प्रशासन ने महिला स्वसहायता समूह को खरीफ सीजन की धान खरीदी स्वसहायता समूह से तो करवा ली लेकिन महिनांे बाद भी स्वसहायता समूह की महिलाओं को धान खरीदी का लेबर भुगतान नहीं मिल पाया है. जिससे महिला स्वसहायता समूह परेशान है. बालाघाट जिले में कई स्थानो पर स्वसहायता समूह के माध्यम से शासन के निर्देश पर प्रशासन ने धान खरीदी करवाई थी. ऐसे ही एक महिला स्वसहायता समूह गोंडवाना आजीविका समूह माना को दो केन्द्रो परसामऊ और गढ़ी में खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में धान खरीदी का कार्य दिया गया था. जिसमें महिला स्वसहायता समूह की 12 महिलाओं ने पूरी शिद्दत के साथ धान खरीदी की लेकिन यह क्या, महिनों बीत जाने के बाद भी समूह को लेबर राशि नहीं मिल सकी. जिसके कारण महिलायें, आये दिन मजदूरों की खरी-खोटी सुनकर स्वयं को अपमानित महसुस कर रही है. आदिवासी अंचल के गोंडवाना आजीविका समूह माना की महिलाओं का दर्द यह है कि शासन, प्रशासन ने पहले उनसे समर्थन मूल्य में खरीफ विपणन वर्ष में धान खरीदी तो करवा ली लेकिन उसके बकाया लेबर राशि के लिए अब उन्हें भटकाया जा रहा है. यह राशि लगभग सवा दस लाख रूपये है, जिसके भुगतान करवाने की मांग को लेकर समूह की महिलायें मुख्यालय पहुंची और कलेक्टर को अपनी व्यथा से अवगत कराया.  

फिलहाल यह राशि कब तक समूह को मिल जायेगी, यह अभी अनिश्चित है, जिससे महिलाओं को अभी और इंतजार करना होगा, यह समझा जायें तो कुछ गलत नहीं होगा. वहीं समूह की महिलाओं का कहना है कि बकाया लेबर पारिश्रमिक नहीं मिलने से लेबर घर आकर उनसे राशि की मांग करते है, जिससे वह स्वयं को लज्जित महसुस कर रहे है. एक ओर शासन के मुखिया प्रदेश की महिलाओं को बहने मानते है, वहीं बहने शासन और प्रशासन की अनदेखी से स्वयं को आहत महसुस कर रही है.

गोंडवाना आजीविका समूह की महिला माना निवासी भगवंती उईके ने बताया कि खरीफ विपणन वर्ष में समूह द्वारा परसामऊ और गढ़ी केन्द्र में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की गई है, जिसका लेबर भुगतान उन्हें अब तक नहीं मिल सका है. जिसके कारण लेबर घर आकर उन्हें राशि के लिए परेशान करते है, संबंधित विभाग से चर्चा की जाती है तो वह उन्हंे राशि भुगतान को लेकर टालने का काम कर रहे है. जिसके कारण मुख्यालय आकर उन्हें अपनी व्यथा बतानी पड़ रही है. श्रीमती उईके की मानें तो परसामऊ केन्द्र 12 लेबर का 3 लाख 27 हजार और गढी के 22 लेबर का 6 लाख 95 हजार रूपये की राशि बकाया है. जिसे जल्द देने की मांग समूह की महिलाओं ने की है.


Web Title : WOMEN OF SELF HELP GROUPS SAY THEY ARE STRUGGLING TO BUY PADDY, DUE TO THE AMOUNT OF RS 10.25 LAKH