13 वें दिन भी जारी रही किसानों की क्रमिक भूख हड़ताल, सांसद पर टिकी आवेदकों की उम्मीदें, रेलवे की वादाखिलाफी के खिलाफ आंदोलन जारी

कटंगी. कटंगी-तिरोड़ी रेल परियोजना में रेल प्रशासन ने जिन किसानों से भूमि अधिग्रहित की है. वह किसान अपने परिवार के सदस्यों के साथ कटंगी में बायपास के पास भूमि के बदले रेलवे में नियमानुसार परिवार के एक सदस्य को नौकरी की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे है. 12 जनवरी से किसानों ने बायपास के प्रदर्शन शुरू किया था. जिसमें 3 युवक भूख हड़ताल भी बैठे थे. हालाकिं इन युवकों द्वारा सांसद और प्रशासन से मिले आश्वासन के बाद प्रदर्शन के 6 दिन बाद यानि 17 जनवरी को भूख हड़ताल समाप्त कर दी थी. जिसके बाद से क्रमिक भूख हड़ताल शुरू हो गई थी, जिसको अब पूरे 13 दिन हो चुके है.

24 जनवरी रविवार को प्रदर्शन स्थल पर प्रमोद पटले भूख हड़ताल पर बैठे रहे. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती है, तब तक यह प्रदर्शन चलते रहेगा. गौरतलब हो कि किसानों के इस प्रदर्शन के बाद रेल प्रशासन कुछ हरकत में आया है. हालांकि शेष किसान परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी या नहीं इस संदर्भ में अब तक कुछ भी स्पष्ट नहीं है. वहीं प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा पूरे मामले को लेकर सांसद डॉ ढालसिंह बिसेन से मुलाकात की. जिसके बाद सांसद ने प्रदर्शनकारी किसानों को आश्वासन दिया है कि वह उनकी मांग को लोकसभा सत्र के दौरान रखेगें. इस बात से किसान फौरी तौर पर संतुष्ट तो है लेकिन जब तक नौकरी नहीं मिल जाती तब तक आंदोलन को जारी रखने की बात कर रहे है.

गौरतलब हो कि कटंगी-तिरोड़ी रेल परियोजना भू-अर्जन के तहत रेलवे ने इस परियोजना के लिए वर्ष 2015 में 214 किसानों से भूमि अधिग्रहित की थी. भूमि अधिग्रहण के बाद सभी किसानों को मुआवजा प्रदान किया जा चुका है. मगर, रेलवे ने भू-अर्जन के नियमानुसार प्रभावित किसान के परिवार के एक सदस्य को नौकरी नहीं दी है. जानकारी के मुताबिक कटंगी-तिरोड़ी रेल परियोजना के लिए जिन किसानों की भूमि अर्जन की गई उनमें से 163 किसान परिवारों के सदस्यों ने रेलवे में नौकरी के लिए आवेदन किया था. जिसमें रेलवे 42 लोगों को रेलवे नौकरी दे चुका है. परंतु शेष 121 आवेदक अब भी नौकरी का इंतजार कर रहे है.

    रेलवे ने इन आवेदकों को नौकरी प्रदान करने की पूरी कागजी कार्यवाही और सत्यापन प्रक्रिया में 2 साल का समय गुजार दिया. इस 2 साल में दर्जनों बार आवेदकों को नागपुर कार्यालय बुलाया गया और जब नौकरी देने की बारी आई तो अप्रैल 2019 में महज 42 लोगों को नौकरी प्रदान की गई. बाकी के आवेदकों को पहले वैश्विक माहमारी कोरोना का लिखित बहाना और अब भू-अर्जन अधिनियम 2013 के नियम कायदे-कानूनों का मौखिक रुप से हवाला दिया जा रहा है. जबकि इन आवेदकों की दस्तावेजों का स्क्रुटनी एवं भोपाल बोर्ड से सत्यापन हो चुका है. फिलहाल इन आवेदकों की उम्मीद सांसद डॉ. ढालसिंह बिसेन पर टिकी हुई है क्योंकि अब इन आवेदकों को नौकरी मिले इसकी लड़ाई सांसद को ही लड़नी है.


Web Title : FARMERS GRADUAL HUNGER STRIKE CONTINUES FOR 13TH DAY, EXPECTATIONS OF APPLICANTS PINNED ON MP, AGITATION AGAINST RAILWAYS PROMISES CONTINUES