गंगा दशहरा के रूप में मनाया गया मां गंगा का प्रगटोत्सव

बालाघाट. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर गंगा दशहरा का पर्व नगर शंकरघाट में वैनगंगा नदी के तट पर स्थित मां गंगाधाम मंदिर में प्रातः से ही भक्तों की भीड़ लगा रही.  जिसके तहत मॉ गंगा का प्रातः 10 बजे गंगामहा अभिषेक, सुबह 11 बजे शिव अभिषेक, दोपहर 3. 30 बजे हवन पूजन, शाम 4. 30 बजे पावन वैनगंगा नदी का अभिषेक, शाम 5 बजे महिलाओं द्वारा दीपदान एवं शाम 6. 45 बजे गंगा भव्य आरती एवं महाप्रसाद(भंडारा) का वितरण किया गया.

गंगा दशहरा के दिन भक्त गंगा मैया की पूजा करते हैं और स्नान एवं दान करते हैं. माना जाता है कि गंगा दशहरा के दिन स्नान करने पर भक्तों को पापों से मुक्ति मिल जाती है. भक्त गंगाजल को घर भी लाते हैं और घर के मंदिर में रखते हैं. हर शुभ कार्य में गंगाजल से घर की शुद्धि करने की परंपरा है. इस शुभ दिन को मनाने के पीछे विशेष पौराणिक कथा जुड़ी है. गंगा दशहरा वह दिन है जब मां गंगा ने पृथ्वी पर अवतरण किया था. इसी दिन भगवान शंकर की जटाओं से निकलकर मां गंगा पृथ्वी पर उतर आई थीं. माना जाता है कि जो भक्त गंगा दशहरा पर स्नान व दान करते हैं उन्हें शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस दिन पूजा-पाठ करने, गंगा दशहरा की कथा सुनने, गंगा आरती और गंगा में डुबकी लगाने पर व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. गंगा दशहरा के दिन दान में अन्न, फल, जल, श्रृंगार सामग्री, घी, नमक, शक्कर और वस्त्र दान में देने शुभ माने जाते हैं.  बालाघाट में प्राकृतिक सौंद्रर्य के बीच स्थित वैनगंगा के पावन तट शंकर घाट स्थित गंगाधाम मंदिर में गंगा का महापर्व गंगा दशहरा में बड़ी संख्या में भक्तों ने शामिल होकर मॉ का आशीर्वाद लिया.


Web Title : GANGA DUSSEHRA CELEBRATED AS GANGA DUSSEHRA