हिन्दी की विदुषी डॉ. मंजु अवस्थी का आकस्मिक निधन, पंचतत्व में विलिन, जेएसटी पीजी कॉलेज एम.ए.ग्रुफ ने दी श्रद्धांजली

बालाघाट. हिन्दी साहित्य की मर्मज्ञ एवं जटाशंकर त्रिवेदी स्नातकोत्तर महाविद्यालय बालाघाट की पूर्व प्राचार्य डॉ. मंजू अवस्थी का आज 6 फरवरी को अचानक निधन हो गया. उनके निधन पर जटाशंकर त्रिवेदी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के वर्ष 1996-97 बैच के विद्यार्थियों ने अश्रुपूरित श्रद्धांजली अर्पित की है.  

जानकारी अनुसार डॉ. मंजू अवस्थी लगभग 14 वर्ष पूर्व जे. एस. टी. कॉलेज की प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुई थी. इसके पूर्व वे कॉलेज में हिंदी की विभागाध्यक्ष थी. जेएसटी कालेज के साथ ही उन्होने कमला नेहरू कन्या महाविद्यालय बालाघाट में भी प्राचार्या पद का निर्वहन कर चुकी थी. एक अवसर ऐसा भी आया जब डॉ. मंजू अवस्थी को दोनो ही महाविद्यालय के प्राचार्य पद का दायित्व शासन स्तर से सौपा गया था और कार्य की अधिकता होने पर भी उन्होने दोनो महाविद्यालय के प्राचार्य पद का सफलतापूर्वक निर्वहन किया. जानकारी अनुसार सेवानिवृत्त होने के पश्चात डॉ. मंजू अवस्थी अपने परिवार के साथ प्रेम नगर में रहती थी. उनके पति डॉ. एन. एस. अवस्थी भी गर्ल्स कॉलेज में प्राचार्य थे. श्रीमती मंजू अवस्थी का एक पुत्र है जिनका नाम अंशू अवस्थी है. हिंदी साहित्य की अच्छी खासी जानकारी रखने वाली डॉ. मंजू अवस्थी के निधन से जिले ने हिंदी विषय की एक विदूषी महिला को खो दिया है. डॉ. मंजू अवस्थी की कमी हमेशा खलेगी. आज तडके उन्हे हार्ट अटैक आया और उनका निधन हो गया. दोपहर में उनके पार्थिव देह का अंतिम संस्कार स्थानीय मोक्षधाम में किया गया.

हिंदी साहित्य के विद्यार्थियों ने दी डॉ. मंजू अवस्थी को श्रद्धांजली

वर्ष 1996-97 में हिंदी साहित्य एमए में अध्ययन करने वाले विधार्थियों को आज जब घटना की जानकारी मिली तो उनमें शोक की लहर छा गई. लगभग 26-27 साल बाद भी सभी की स्मृति उस छोटे से कमरे में चली गई. जहां डॉ. मंजू अवस्थी उन विद्यार्थियों को अध्ययन कराती थी. जटाशंकर त्रिवेदी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रथम तल में निर्मित एक कमरे में ङ्क्षहंदी विभाग था, जहां डॉ. मंजू अवस्थी विद्यार्थियों को अध्ययन कराती थी. हिंदी विषय की अच्छी खासी और गहरी जानकारी रखने वाली डॉ. अवस्थी के निधन से छात्र छात्राए दुःखी हो गये. उस बैच के विद्यार्थियों को उन्होने सिर्फ दो साल साथ नही दिया बल्कि आगे भी उनका स्नेह मिलता रहा. डॉ. राजा राम परते को पीएचडी की डिग्री के लिये डॉ. मंजू अवस्थी ने ही अपने मार्गदर्शन में थीसिस कंम्पलीट कराई थी. डॉ. अवस्थी के निधन पर एम. ए. वर्ष 1996-97 के ग्रुफ के सभी सदस्यों ने अपनी-अपनी श्रद्धांजली व्यक्त की है. किसी विद्यार्थी ने उनके मार्गदर्शन में आयोजित हुये कार्यक्रमों की फोटो ग्रुफ में शेयर की है तो किसी विद्यार्थी ने उनके साथ सूपखार पिकनिक की फोटो को साझा करके उन्हे याद किया है. वास्तव में डॉ. मंजू अवस्थी एक किताब थी. जिनमें जीवन जीने की आकांक्षाओं का भंडार था. वही विद्यार्थियों में उनका स्नेह और अध्यापन की कला बेजोड़ थी. वर्ष 1996-97 हिंदी बैंच के सभी विद्यार्थियों ने भगवान से प्रार्थना की है कि दिव्ंागत डॉ. मंजू अवस्थी को अपने श्रीचरणों में स्थान दे और उनके परिवार को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें. पूर्व विद्यार्थियों  डॉ. राजाराम परते, आशीष गोस्वामी, महेश कावरे, दिलीप कटरे, हेमंत लिल्हारे, थानेश्वर बिसेन, नंदलाल मानेश्वर, चौनलाल चौधरी, नारायण चौधरी, दिलीप घरडे, ममता, भानुमति, बालकुमारी, आभा, अभिलाषा, राखी, भारती,सरिता, शीला, प्रीति, तरूणा सहित अन्य विद्यार्थियों ने उन्हें अपनी श्रद्वाजंलि दी.  


Web Title : HINDI STUDENT MANJU AWASTHI PASSES AWAY