जिले में कांग्रेस की कमजोर मानी जा रही कटंगी विधानसभा में कांग्रेस के बड़े नेता कर पाएंगे करिश्मा, बगावती तेवरो ने पार्टी की बढ़ाई मुश्किल

बालाघाट. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ना जाने कैसे यह लग रहा है कि प्रदेश में कांग्रेस की लहर है, हां यह जरूर है कि साढ़े 18 साल की भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली से जरूर प्रदेश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और घोटालो से जनता त्रस्त है, जिससे एक सत्ता विरोधी लहर है, जिसका फायदा कांग्रेस को मिलता दिखाई दे रहा है, लेकिन कांग्रेस यह फायदा कितना उठा पाएगी, यह तो आने वाला समय बताएगा. चूंकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने टिकिट वितरण के पहले की जो परिस्थिति थी और टिकिट वितरण के बाद जो परिस्थिति बनी, उसमें कांग्रेस के लिए कहीं फायदा तो कहीं नुकसान जैसी स्थिति है.  

बालाघाट जिले की 6 विधानसभा सीटो के संदर्भ में बात करें तो यह जिले के कांग्रेस कर्णधारों ने सुपरियर बनने लांजी और बैहर को छोड़कर शेष सभी चार सीटो पर चुनाव की टिकिट वितरण के पहले, ऐसी परिस्थिति पैदा की कि अब कांग्रेस में आपसी खींचतान मची है. चूंकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस में भले ही संगठनात्मक रचना हो, लेकिन इस रचना में शामिल कांग्रेस, कार्यकर्ता कम नेता ज्यादा है और यही कारण है कि कांग्रेस संगठन में प्रोटोकॉल जैसी कोई स्थिति दिखाई नहीं देती है.  

फिलहाल यह कांग्रेस का अदरूनी मामला है लेकिन चुनाव में टिकिट वितरण के पहले जिले की 6 विधानसभा में लगभग 04 सीटो पर कांग्रेस मजबूत मानी जा रही थी, वह टिकिट वितरण के बाद कमजोर नजर आ रही है. वारासिवनी में कांग्रेस का पल्ला जरूर भारी है लेकिन लांजी, बैहर, बालाघाट में फिफ्टी-फिफ्टी तो परसवाड़ा में गोंगपा प्रत्याशी के खड़े होने से एक बार फिर कांग्रेस तीसरी पोजिशन में नजर आ रही है. बनिस्मत ऐसी ही स्थिति कटंगी विधानसभा में है, शेर आया-शेर आया के बोलवचन और यहां कांग्रेस के एक नहीं बल्कि दो-दो समर्पित कार्यकर्ता के बगावती तेवरों के कारण, कांग्रेस प्रत्याशी की मुश्किल बढ़ गई है.

जानकारांे की मानें तो कटंगी में कमजोर पड़ती कांग्रेस को मजबूती देने ही कांग्रेस प्रभारियों और नेताओं ने कटंगी में पार्टी प्रत्याशी की स्थिति मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय और प्रादेशिक नेतृत्व को बुलाया गया है. इसके अलावा और कोई बड़ी वजह नजर नहीं आती है, जबकि यदि बड़े नेतृत्व का आगमन हो रहा है तो मुख्यालय में एक बड़ी सभा होना था, ताकि जिले के सभी 06 विधानसभा के प्रत्याशियों को इसका लाभ होता और एक बड़ा जनसमूह भी नजर आता, चूंकि जिले के सभी 06 विधानसभा के प्रत्याशी अपने समर्थकों और जनता के साथ सभा मंे होते तो इसका चुनावी प्रभाव, जिले में सीटों को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाता. चूंकि कटंगी, अंतिम छोर में है, ऐसे में यहां राष्ट्रीय और प्रादेशिक नेताओं की सभा, जिले की कटंगी और वारासिवनी छोड़कर अन्य विधानसभा प्रत्याशियों के लिए केवल मुंह दिखाई जैसी रस्म अदायगी है. जिससे साफ है कि जिस कांग्रेस प्रत्याशी को टिकिट देते समय कांग्रेस मजबूत और सशक्त मान रही थी, वही प्रत्याशी कांग्रेस में सबसे कमजोर दिखाई दे रहा है. जिसकी मुख्य वजह, बगावती तेवरो से कांग्रेस को वोटों के गणितीय आंकड़े में नुकसान होना साफ है.


Web Title : SENIOR CONGRESS LEADERS WILL BE ABLE TO DO CHARISMA IN THE KATANGI ASSEMBLY, WHICH IS CONSIDERED WEAK IN THE DISTRICT.