मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने और सीधी पेशाब कांड को लेकर प्रदर्शन आज, आदिवासी, अनूसूचित जाति, ओबीसी और अल्पसंख्यको का ऐलान

बालाघाट. मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की शर्मनाक घटना और सीधी में आदिवासी युवक पर पेशाब किये जाने के मामले को लेकर आदिवासी, अनुसूचित जाति, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग ने 23 जुलाई को बैठक कर इस घटना के विरोध में आज 24 जुलाई को धरना प्रदर्शन का ऐलान किया है. यह धरना प्रदर्शन 24 जुलाई को दोपहर 2 बजे से आंबेडकर चौक में किया जायेगा. जिसके बाद इन घटनाओं को लेकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा जायेगा.  

रविवार 23 जुलाई को सभी वर्गो के प्रतिनिधियों की बैठक समता भवन बुढ़ी में आयोजित की गई. जिसमें सर्वसम्मति से तय किया गया कि दोनो ही घटनायें आदिवासी समाज के साथ घटित हुई है, ऐसे में संवैधानिक पदो पर बैठे आदिवासी वर्ग के प्रतिनिधि भले ही घटना को नजरअंदाज कर रहे हो लेकिन समाज चुप नहीं बैठेगा. जिसमें अन्य समाज को साथ लेकर इसका विरोध प्रदर्शन किया जायेगा.  

इस बैठक में सर्व आदिवासी समाज जिलाध्यक्ष भुवनसिंह कोर्राम, आदिवासी विकास परिषद जिलाध्यक्ष दिनेश धुर्वे, धर्मेन्द्र कुरील, महेश सहारे, शैलेष सुखदेवे, के. सी. मेश्राम, दुरेन्द्र सावनकर, राजकपूर कामडे, सुनील बौद्ध, हाजी शोएब खान, श्रीमती संध्या कुर्वेती, रमा तेकाम, संदेश सैयाम, पुष्पा कोकोडे, संदेश सैयाम, वीणा डोंगरे, हेमलता डोंगरे, देवेश्वरी मेरावी, संगीता वल्के सहित सभी वर्गो के लोग उपस्थित थे.  

श्रीमती संदेश सैयाम ने कहा कि भाजपा शासित प्रदेशो में आदिवासियों के साथ जो घटनायें की जा रही है, उससे लगता है कि आदिवासियो को टारगेट किया जा रहा है. केवल रेलवे स्टेशन का नाम कमलापति कर देने या संवैधानिक पदो पर आदिवासियों को प्रतिनिधित्व देने से यह नहीं समझा जा सकता कि आदिवासियों की दशा सुधर गई है जबकि आज भी आदिवासियों की दशा जस की तस है. मणिपुर और सीधी की घटना, लोकतंत्र और मानवता के लिए शर्मनाक है. जिसका विरोध करने हम एकजुट हो रहे है.

सर्व आदिवासी समाज जिलाध्यक्ष भुवनसिंह कोर्राम ने कहा कि मध्यप्रदेश से लेकर भाजपा शासित प्रदेशो में आदिवासियों के साथ अत्याचार की घटनायें बढ़ी है. मणिपुर में जिस निर्लज्जता के साथ आदिवासी महिलाओं के जो कृत्य किया गया है, वह शर्मनाक है और प्रधानमंत्री को 76 दिनों बाद इस घटना का पता चल रहा है जबकि सारे इंटेलिजेंस उनके पास है. यह पच नहीं रहा है. हमें लगता है कि जिस तरह से आदिवासियों के साथ घटना हो रही है, उससे कहीं आदिवासियों को खत्म करने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा है. मणिपुर और सीधी घटना के खिलाफ अपना जनाक्रोश व्यक्त करने के लिए आदिवासी, अनुसूचित जाति, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्गो के साथ मिलकर विरोध में 24 जुलाई को धरना प्रदर्शन आंदोलन किया जायेगा. यही नहीं बल्कि विश्व आदिवासी दिवस भी इस वर्ष हर्षोल्लास से ना मनाकर देश में आदिवासियों के साथ घटित हो रही घटनाओं के खिलाफ आदिवासी एकजुट होकर सांकेतिक रूप से प्रदर्शन करेंगे, ताकि पूरे देश मंे इसका संदेश जाये कि आदिवासी पर हो रहे अत्याचार को रोका जाये.

आदिवासी गोवारी समाज प्रदेश अध्यक्ष महेश सहारे ने बताया कि मणिपुर और सीधी में आदिवासियों को जिस तरह से टारगेट किया जा रहा है, वह आदिवासियों के साथ हो रही घटनाओं का जीवंत प्रमाण है. मणिपुर की घटना, इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना है. ताज्जुब तो यह है कि यह दोनो ही घटना, उन राज्यो में घटी है, जहा डबल इंजन की सरकार है. बावजूद इसके देश के प्रधानमंत्री अपने बयान में इन राज्यो का नाम ना लेकर इस घटना पर राजनीति कर रहे है. जिस तरह से मणिपुर में महिनों से हिंसा का तांडव चल रहा है औैर केन्द्र की सरकार इसे रोक नहीं पा रही है, उससे लगता है कि मणिपुर को केन्द्र सरकार देश का हिस्सा नहीं मानती है.  


Web Title : MANIPUR: PROTESTS AGAINST WOMEN BEING PARADED NAKED AND URINATING DIRECTLY