बालाघाट. जिले के मॉयल नगरी भरवेली क्षेत्र अंतर्गत आने वाले हीरापुर ईमलीटेकरा में धार्मिक आयोजन को लेकर दो पक्ष आमने-सामने है, जहां गत दिवस कुछ लोगों ने गत दिनों प्रशासन को अनुमति के लिए ज्ञापन दिया था. जिसके बाद ग्रामीणों ने बीती रात्रि बैठक कर वस्तुस्थिति से मीडिया को अवगत कराया है. गौरतलब हो कि गत दिनों हनुमान जन्मोत्सव पर एक पक्ष हनुमान स्वरूप निकलना चाहता है, जिसके चलते उसने एसडीएम अनुमति की मांग की थी, लेकिन अनुमति नहीं मिलने पर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर लोगों ने प्रशासन से अनुमति की मांग के साथ ही दशहरा उत्सव समिति पर आयोजन में रूकावट पैदा करने का आरोप लगाया था. जिसके बाद ग्रामीणों ने गत रात्रि बैठक की और हनुमान जयंती पर हनुमान स्वरूप निकालने को लेकर लगाए जा रहे आरोपों को निराधार बताया.
ग्राम के रामकृष्ण बजरंग मंदिर विष्णुधाम के सेवादार अंकित शिववंशी का कहना है कि हनुमान जन्मोत्सव पर हनुमान स्वरूप का विरोध नहीं है, चूंकि यह परंपरा कभी गांव में रही नहीं है और हम नई परंपरा को विधिवत और नियमों के तहत चाहते है, चूंकि भगवान हनुमान का स्वरूप धारण करना, कोई आसान नही है, इसके लिए 40 दिनों का तप और नियमों का पालन करना होता है, लेकिन वर्तमान में विकास धानेश्वर (लालु) जो हनुमान स्वरूप धारण करना चाहते है, वह नियमांे का पालन नहीं कर रहे है. जो हम सभी सनातनियों की आस्था और विश्वास के विपरित है और दूसरी बात कि गर्मी का मौसम है, इस गर्मी में हनुमान स्वरूप धारण करना, काफी मुश्किल होता है, चंूकि जो हनुमान स्वरूप धारण करने का दावा कर रहे है, वह अक्सर बीमार रहते है. जिसके साथ स्वरूप धारण करने के दौरान कोई अनहोनी घटना, बालाघाट की तरह ना हो जाए, इसलिए ग्रामीण चितिंत है और वह नहीं चाहते है कि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना के कारण गांव और मंदिर का नाम खराब हो और दशहरा में निकलने वाले हनुमान स्वरूप पर किसी प्रकार का कोई विघ्न पैदा हो. यही कारण है कि गांव के लोग, हनुमान जयंती पर हनुमान स्वरूप धारण करने को लेकर एकमत नहीं है.
महिला समिति अध्यक्ष श्यामबाई का कहना है कि अब तक हनुमान जयंती पर हनुमान स्वरूप को निकलते नहीं देखा है. जो महिलाएं, वहां गई थी, वह महिला मंडल में शामिल भी नहीं है. उन्हें बहला-फुसलाकर लेकर गए थे. ग्रामीण रामराज परिमल ने बताया कि वर्तमान में डब्बुलाल नागेश, मंदिर के स्व-अध्यक्ष है. चूंकि इससे पहले मैं भी मंदिर समिति में था, लेकिन मेरे आगे बढ़ना, उन्हें रास नहीं आया है और उन्होंने मुझे अलग कर दिया. यही नहीं बल्कि उनके द्वारा मंदिर के आय-व्यय को भी पारदर्शी तरीके से नहीं रखा जाता है. साथ ही मनमर्जी से वह काम करते है और वह मंदिर में ही निवास करते है, जिन्होंने मंदिर को मंदिर नहीं बल्कि अपना घर समझ लिया है. जो मंदिर में लगे सीसीटीव्ही से देखा जा सकता है. मंदिर मंे हुई ग्रामीणों की बैठक में राजेन्द्र शिववंशी, प्रेमप्रकाश भारद्वाज, मनीष राउत, रामेश्वर देवांगन, दानिश शिववंशी, मनीष भारद्वाज, राजा हिरेन्द्रवार, शुभम नागेश्वर, मनोज साहु, गायत्री शिववंशी, मोंटु बरमैया, प्रमिला भारद्वाज सहित ग्रामीणजन बड़ी संख्या में मौजूद थे.